आज कुछ काम से यहीं पास ही के एक सुपरमार्केट में जाना हुआ| सुपरमार्केट यूँ तो काफी बडा है,तिमंजिला इमारत है,रोजमर्रा की हर चीज यहाँ मिल जाती है| दरवाजा खोलने बंद करने तक के लिए एक आदमी को रखा हुआ है| खैर,काउन्टर पर पहुंचा तो केैशियर ने 306 रूपये का बिल थमा दिया और मैंने भी अपना डेबिट कार्ड आगे कर दिया|
"ये नहीं चलेगा"
"क्यूँ?", मैंने कहा
"500 से कम का पेमेन्ट कार्ड से नहीं लेते"
"तो अब?"
"कैश ले आओ पास में ही है ATM"
मैं कैश लेकर आया ATM से और पैसे देते हुए पूछा-
"वैसे 500 से कम की खरीदारी में कार्ड से पेमेंट क्यूँ नहीं लेते?"
"हमारे यहाँ का यही रूल है"
बडा अजीब लगा और आश्चर्यजनक भी क्यूंकि जितने जोरों शोरों से डिजटलाइजेशन की बातें हो रही हैं विमुद्रीकरण के बाद से मुझे उम्मीद थी कि शायद जमीनी हकीकत में कुछ परिवर्तन आया होगा|
शहर के एक बडे सुपरमार्केट में ये हाल है और हम भारत को कैशलेस अर्थव्यवस्था बनाने के सपने देख रहे हैं|
"ये नहीं चलेगा"
"क्यूँ?", मैंने कहा
"500 से कम का पेमेन्ट कार्ड से नहीं लेते"
"तो अब?"
"कैश ले आओ पास में ही है ATM"
मैं कैश लेकर आया ATM से और पैसे देते हुए पूछा-
"वैसे 500 से कम की खरीदारी में कार्ड से पेमेंट क्यूँ नहीं लेते?"
"हमारे यहाँ का यही रूल है"
बडा अजीब लगा और आश्चर्यजनक भी क्यूंकि जितने जोरों शोरों से डिजटलाइजेशन की बातें हो रही हैं विमुद्रीकरण के बाद से मुझे उम्मीद थी कि शायद जमीनी हकीकत में कुछ परिवर्तन आया होगा|
शहर के एक बडे सुपरमार्केट में ये हाल है और हम भारत को कैशलेस अर्थव्यवस्था बनाने के सपने देख रहे हैं|
No comments:
Post a Comment