नव नवीन क्राँति का अभिनव आरम्भ हो.......
लक्ष्य मे मगन हुए , योजना को कर बहाल
एक क्षण रूको नही , अब न देखो देशकाल
न अब कोई विलासिता , न अब कोई विलम्ब हो
नव नवीन क्राँति का अभिनव आरम्भ हो......
जीत का ही हो नशा , जीत का ही हो जुनून
कर शपथ अभी यही, न लेगा एक पल सुकून
रग रग मे जोश हो , आँखो मे दम्भ हो
नव नवीन क्राँति का अभिनव आरम्भ हो......
यह ब्लाग कब बना लिया और इतनी सारी खूबसूरत रचनाएं भी पोस्ट करदी । और बताया भी नही ।
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ReplyDeleteबस आपकी प्रतिक्रिया का ही इन्तजार था.....
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