अन्ततः तू चला गया.......
युद्धभूमि मे लडते लडते
क्षत-विक्षत सा गिरते पडते
अन्ततः तू चला गया.........
तीव्र व्यथा को सहते सहते
शान्त नदी सा बहते बहते
अन्ततः तू चला गया.........
श्वास शिथिल सी , क्षुब्ध शरीर
रक्त से सना तू लथपथ वीर
लाचारियो से डरते डरते
हर रोज मरते मरते
अन्ततः तू चला गया.........
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